पिता
(१) पिता गये थे सफेद गाड़ी में बैठ कर पिता आएं हैं सफ़ेद पैकेट में लेट कर बच्चों को गाड़ी की आवाज कभी इतनी भयानक नहीं लगी। थी।। (२) पिता! तुंम्हारी स्मृतियाँ उस अबोध प्यासे बच्चे मानिंद हैं जो विह्वल हो फैला लेता है बाहें जल पात्र देख कर। (३) माँ! उसकी तेज साँसे कातर दृष्टि बच्चों की आँखों में प्रतीक्षा उखड़ती सांस लिए अस्पताल गयी माँ दुनिया की सबसे बेसब्र प्राणी होती है। (४) मृत्यु के भटके हुए उदास कदम श्मशानों से भी लौट आते हैं, उफ़!मरने की इतनी जल्दी कभी किसी को नही थी। (५) पिता! तुम्हारा पहला निवाल हमारे हलक में उतरा, तुम्हारे प्यास की पहली घूँट हमने सोख लिया, तुंम्हारी हर पहली वस्तु हमारी हुई परन्तु तुम्हारे दुःख का अंतिम टुकड़ा भी हमें न मिला दुःख बाटने में पिता जैसा स्वार्थी कोई न हुआ।