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Showing posts from May, 2020

कब_रूकेगा_महापलायन_का_अंतहीन_सिलसिला

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#कब_रूकेगा_महापलायन_का_अंतहीन_सिलसिला? मेरे गाँव से दो किलोमीटर पर स्थित है राम-जानकी मार्ग  जो कि उत्तर प्रदेश और बिहार को जोड़ता है।उत्तरप्रदेश और बिहार को अलग करती है छोटी गणडक्।यहाँ से छः किमी दूर राम-जानकी मार्ग पर, गण्डक पर बने पुल के पश्चिम ओर है जनपद देवरिया तथा पूरब है बिहार का सिवान जनपद।पलायन की जो तस्वीरें सोशल मीडिया पर देख रहा था ,आज साक्षात देखा।ट्रको और लारीयों में भर-भर के मजदूर जा रहे हैं।ट्रकों में दो दो खण्ड बना कर    तथा ट्रक की छतों पर बैठ कर मजदूर जा रहे हैं।पलायन का अंत हीन सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।सरकारी बसों में भी भर-भर के मजदूर आ रहे।बिहार से गाड़ियों के आने पर प्रतिबंध लगाया गया है।कोरोना ने इन मजदूरों को कहीं का नहीं छोड़ा।लेकिन आज भूख के आगे कोरोना का डर कुछ भी नहीं है।प्रथम प्रणयी भूख  ही है।  जेठ की उदास शाम,आसामान में छिट-फुट बादल।कोरोना संक्रमण के लाकडाउन में रेंगता जीवन।सहमा अलमस्त गाँव। कुछ लोगों को बिहार बार्डर पार कराने आया हूँ।सडक पर मजदूरों की गाड़ियों को छोड़ कर इक्का दुक्का गाडिया जा रही।।हम लोग कुल छ: लोग हैं।सबने मास्क पहन

भारत माता ग्राम वासिनी

#भारतमाता_ग्राम_वासिनी खेतों में फैला है श्यामल, धूल भरा मैला सा आँचल, गंगा यमुना में आँसू जल, मिट्टी कि प्रतिमा उदासिनी।।(सुमित्रानंदन पन्त)   भारत गाँवों का देश है।2011 की जनगणना के अनुसार 68.85% जनता अर्थात् लगभग 83 करोड़ लोग गाँवों में रहते हैं।वर्तमान समय में 640 जिले हैं तथा इन जिलों में 6.49 लाख के करीब गाँव हैं।ये गाँव ही पूरे भारत के लिए भोजन पैदा करते हैं।ये गाँव ही इन नगरों-महानगरों के लिये मजदूर और मानव-संसाधन उपलब्ध कराते हैं। स्वतंत्रता के बाद गाँवों की स्थिति में सुधार अवश्य हुआ परन्तु नगरों की तुलना में बहुत कम।सड़क-बिजली गाँवों तक भी पहुँचा।आज की स्थिति यह है कि(लाक-डाउन से पहले)प्रत्येक मिनट में 25-30 लोग गाँव से नगरों की ओर बेहतर जीविका के लिए पलायित हो रहे थे। नेहरू जी भारत को पश्चिमी देशों की तर्ज पर विकसित करना चाहते थे।परन्तु यह भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए कठिन व अप्रासंगिक था।स्वतंत्रता के बाद महात्मा गाँधी का ग्राम-स्वराज पुस्तकालय की अलमारियों के ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया।गाँधी का भारत स्वावलंबी गाँवो का भारत था,जहाँ प्रत्येक गाँव एक राष्ट्र की भूमिका