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Showing posts from September, 2021
हम प्रच्छन्न बिखरे पड़े है एक दूसरे के सापेक्ष  ब्रह्माण्ड की अलग-अलग आयामों में चक्कर लगा रहे  अपने अस्तित्व के जैसे दो श्याम विवर लगाते है एक दूसरे का सहज-सरल  पर नहीं पहुँचे कहीं... हमारे गति ने उत्पन्न किये हैं  अनेक आयामो के जीवन वृत्त तुम्हारी ऊर्जा के अध्यारोपण से मैंने तय किये हजारों वर्षों की दूरी पल में ही ... आलिंगनबद्ध हृदय-खण्डों ने  उत्पन्न की है दिक्-काल में वक्रता जिस ओर झुकते जा रहे सभी पार्थिव-पिण्ड.. हृदय के अभ्यांतर के सन्नाटे में घुल गया है तुम्हारा अनहद स्वर, वक्त भी थम सा गया है  हमारे महामिलन की इंतिजार में...