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लूट

हमहुँ लूटी तुहुं लूट लुटे के आज़ादी बा गद्दी पर चढ़ल नेतन के अबकी ईहे मुनादी बा कतली-खूनी-चोर उचक्का चुनि के आइल संसद में जनता की अधिकार में हत्या मिलके कइलें संसद में बंगला गाड़ी गहना गुरिया के भइल वेवस्था संसद में चोर लफंगा बनल विधायक पहिरत कुर्ता खादी बा, हमहुँ लूटी तुहुं लूट लुटे के आज़ादी बा।। परधानी में लूट लूट के महल बनवने नेता जी वोट की बदले दारू मुर्गा खूब चलवले नेता जी घूस खिया के थानेदार के करे दलाली नेता जी गण पर बइठल तंत्र आज बा जनता के बर्बादी बा हमहुँ लूटी तुहुं लूट लुटे के आज़ादी बा।। अंतरि मंत्री सांसद फांसद के लमहर चाकर गाडी बा गद्दी पर चढ़ल नेतन के अबकी ईहे मुनादी बा।। ‌

criminal&justice: behind the door

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क्रिमिनल जस्टिस सीज़न 2 : बिहाइंड द क्लोज्ड डोर   यह एक गुणवत्ता परक समसामयिक वेब सीरीज है,जिसे अवश्य ही देखा जाना चाहिए।पंकज त्रिपाठी के उत्कृष्ट अभिनय से आच्छादित यह वेब सीरीज ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण विमर्श खड़ा करती है।इसका शीर्षक 'अपराध और न्याय:बन्द दरवाजे के पीछे'।अपराध क्या है और अपराधी कौन है?न्याय क्या है और न्याय कैसे मिलता है,यह एक व्यापक विमर्श है।सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 497 में वर्णित व्यभिचार (एडल्ट्री) को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए इसे एक सामाजिक बुराई (अनैतिक कार्य) के रूप में उल्लेखित किया है। क्या नैतिकता और कानून में एकरूपता होनी चाहिए? क्या नैतिकता ही कानून का आधार होनी चाहिए? प्रथम प्रश्न के संदर्भ में, चूंकि नैतिकता की सामाजिक स्वीकार्यता होती है इसलिए नैतिकता और कानून में साम्य होने से कानून का पालन आसानी से होता है। वहीं नैतिकता अर्थात सामाजिक स्वीकार्यता के अभाव में कानून का पालन कठिन हो जाता है।नैतिकता और कानून में विरोधाभास से सामाजिक तनाव की स्थिति पैदा हो सकती है क्योंकि कानून को बनाने व लागू करने वाले अंग भी