Posts

Showing posts from January, 2024

[1/2, 8:19 PM] अतुल पाण्डेय: इतना चीप बात कर रहे सब टीचर्स की[1/2, 8:19 PM] अतुल पाण्डेय: क्या कहें[1/2, 8:19 PM] अतुल पाण्डेय: मेरे कॉलेज के चपरासी भी उनसे सभ्य हैं[1/2, 8:58 PM] अतुल पाण्डेय: जिस बिहार की बात करता था एकदम वही है।बच्चे बोरा ले कर आ रहे पढ़ने। जमीन पर बैठ जा रहे[1/2, 8:58 PM] अतुल पाण्डेय: वही मुख्यतः एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के वंचित निरीह बच्चे[1/2, 8:59 PM] अतुल पाण्डेय: शायद इतनी बुरी स्थिति मेरे समय में प्राइमरी स्कूलों में हुआ करती थी[1/2, 9:00 PM] अतुल पाण्डेय: आज कल मेरे क्षेत्र में बहुत बेहतर स्थिति में हैं प्राइमरी स्कूल[1/2, 9:04 PM] अतुल पाण्डेय: विद्यालय की टाइमिंग 9 भी से 5 बजे तक किए हैं शिक्षा सचिव बिहार केके पाठक जी।मैं थोड़ा लेट पहुंचा 10 बजे के करीब[1/2, 9:05 PM] अतुल पाण्डेय: पांच पंक्ति में बच्चे लाइनअप थे[1/2, 9:05 PM] अतुल पाण्डेय: प्रार्थना लगभग हो गई थी[1/2, 9:06 PM] अतुल पाण्डेय: बच्चों की भेष भूषा उनकी गरीबी को दर्शा रही थी[1/2, 9:11 PM] अतुल पाण्डेय: जनवरी का महीना और कुछ ही बच्चे गर्म कपड़े पहने हुए थे, बच्चियों के कपड़े अपेक्षाकृतसाफ सुथरे और धुले हुए दिख रही थी।[1/2, 9:12 PM] अतुल पाण्डेय: स्मित चेहरे और शर्मीले व्यवहार से मैच्योरिटी का भाव झलक रहा था उनमें।[1/2, 9:16 PM] अतुल पाण्डेय: कुछ किशोर लड़के जो थोड़े पीछे खड़े थे ,हम नवनियुक्त ट्रेनी अध्यापकों को कौतूहल से देख रहे थे,और आपस में आंखो आंखों में बात कर के हंस रहे थे।[1/2, 9:18 PM] अतुल पाण्डेय: प्रिंसिपल साहेब मुंह में गुटखा लिए हुए गाड़ी से उतरे और फोन निकाल कर टाइम देखे और कोई नंबर डायल कर के कान पर लगा कर बच्चों की कतार के पीछे चले गए और बात करने लगे।[1/2, 9:20 PM] अतुल पाण्डेय: बीच बीच के गुटखे का पीक एक पुराने नल के सटे नाली पर थूक रहे[1/2, 9:22 PM] अतुल पाण्डेय: एक मास्टर साहब जो थोड़े अनुशासित ढंग से नज़र आये वे बच्चों को पंक्ति बद्ध कराए और उनमें से एक एक बच्चे को बुला कर सामने कोई न कोई बात या प्रश्न पूछने को कह रहे थे[1/2, 9:23 PM] अतुल पाण्डेय: ये काम थोड़ा संतोषजनक लगा मुझे[1/2, 9:26 PM] अतुल पाण्डेय: इन मास्टर साहब द्वारा बुलाए जाने परप्राइमरी स्तर के बच्चे संडे मंडे या जनवरी फरवरी टूटी फूटी हिंदी और अंग्रेजी के उच्चारण से बता रहे[1/2, 9:26 PM] अतुल पाण्डेय: मास्टर साहब बीच बीच में उनका हौसला अफजाई भी कर रहे थे[1/2, 9:29 PM] अतुल पाण्डेय: कुछ फैक्ट्स गलत होने पर सुधार किए या प्रश्नवाचक दृष्टि हम लोगों की तरफ भी देखे कि सही है या गलत।।[1/2, 9:31 PM] अतुल पाण्डेय: बाद में बात करने पर पता चला कि ये इकलौते मास्टर साहब प्रिंसिपल सर के अलावा यूपी से हैं ।बाकी सभी आसपास के गांव से ही हैं।[1/2, 9:36 PM] अतुल पाण्डेय: बीटीसी प्रशिक्षउस के इंटर्नशिप के दौरान हमने घूम घूम के निरीक्षण। किया है[1/2, 9:36 PM] अतुल पाण्डेय: इतनी खराब स्थिति कहीं की नहीं थी[1/2, 9:38 PM] अतुल पाण्डेय: खैर हो सकता हैं मुझे ही ऐसे जगह पर मिल गया हो[1/2, 9:39 PM] अतुल पाण्डेय: बेहतर विद्यालय भी होंगे[1/2, 9:49 PM] अतुल पाण्डेय: देखो[1/2, 9:49 PM] अतुल पाण्डेय: बच्चों के व्यवहार से दिक्कत नहीं है[1/2, 9:50 PM] अतुल पाण्डेय: अध्यापकों से है[1/2, 9:50 PM] अतुल पाण्डेय: तनिक न्याय नहीं कर रहे हैं

कालेज में आया हूं, यहां नर्सिंरी या आँगन बड़ी, प्राइमरी,मिडिल  औऱ माध्यमिक तथा उच्छतार माध्यमिक विद्यालय सब है. आज थोड़ा पहले निकला तो समय से ा गया, प्रार्थना में पहुंच गया. तू ही राम हैं तुम रहीम हैं प्रर्थना हुई, उसके बाद राष्ट्र गान हुआ. जिसमे अनेक गलतियाँ थी पर आधे अध्यापक तो आये नहीं थे, जो आये भी थे वे आपस में बात कर रहे थे, एक मास्टर साहेब तो फ़ोन पे बात कर रहे थे, बीच बीच में उनके बात में म भ च  की गलियां आ रही थी. आवाज इतनी तेज की उनके आवाज के आगे प्रार्थना स्वर दब जा रहा था.आज शनिवार हैं तो बच्चोँ की संख्या बहुत कम थी. इस समय इस विद्यालय में 6 नवनियुक्त अध्यापक आये हैँ तो बता रहे लोग कि संख्या बढ़ी हुई है. क्लास 9th में 28 एडमिशन था.पहले चार पांच बच्चे आते थे अब तो 20 तक आ रहे हैँ. हालांकि अभी तक  समय सारणी नहीं है.कोइ भी अध्यापक किसी भी कक्षा में आ  रहा जा रहा,हालांकि सबकी अपेक्षा एबी रह रही कि नाव नियुक्त ही पढ़ाएं. पढ़ा भी रहे, एक नयी लड़की दिख रही सामने छोटे छोटे बच्चों को पढ़ा रही. अनुमान लगा पर रहा कि कक्षा एक दो के बच्चे हैँ.बच्चे बोरा या पालीथीन का टुकड़ा ले कर आये हैँ. ठंडी ज

1

]मौसम बहुत खराब हो रहा  कल थोड़ा घाम हुआ था  दिन भर धुंधला धुंधला  घाम मने धूप  बकवास लग रहा ह। कुछ भी अच्छा नहीं  कोई सिस्टम नहीं  गंदगी फैली हुई है   छोटे बच्चो का हल्ला  डिब्बा पर डंडे से बेल लग रही। गुल्ला  Sab MDM me se kha rahe  इतना चीप बात कर रहे सब टीचर्स की  जिस बिहार की बात करता था एकदम वही है।बच्चे बोरा ले कर आ रहे पढ़ने। जमीन पर बैठ जा रहे  क्या कहें  मेरे कॉलेज के चपरासी भी उनसे सभ्य हैं  वही मुख्यतः एससी एसटी और ओबीसी वर्ग के वंचित निरीह बच्चे शायद इतनी बुरी स्थिति मेरे समय में प्राइमरी स्कूलों में हुआ करती थी : विद्यालय की टाइमिंग 9 भी से 5 बजे तक किए हैं शिक्षा सचिव बिहार केके पाठक जी।मैं थोड़ा लेट पहुंचा 10 बजे के करीब  आज कल मेरे क्षेत्र में बहुत बेहतर स्थिति में हैं प्राइमरी स्कूल  प्रार्थना लगभग हो गई थी : पांच पंक्ति में बच्चे लाइनअप थे  बच्चों की भेष भूषा उनकी गरीबी को दर्शा रही थी  स्मित चेहरे और शर्मीले व्यवहार से मैच्योरिटी का भाव झलक रहा था उनमें। : जनवरी का महीना और कुछ ही बच्चे गर्म कपड़े पहने हुए थे, बच्चियों के कपड़े अपेक्षाकृतसाफ सुथरे और धुले हुए दिख रह