कालेज में आया हूं, यहां नर्सिंरी या आँगन बड़ी, प्राइमरी,मिडिल  औऱ माध्यमिक तथा उच्छतार माध्यमिक विद्यालय सब है.
आज थोड़ा पहले निकला तो समय से ा गया, प्रार्थना में पहुंच गया. तू ही राम हैं तुम रहीम हैं प्रर्थना हुई, उसके बाद राष्ट्र गान हुआ. जिसमे अनेक गलतियाँ थी पर आधे अध्यापक तो आये नहीं थे, जो आये भी थे वे आपस में बात कर रहे थे, एक मास्टर साहेब तो फ़ोन पे बात कर रहे थे, बीच बीच में उनके बात में म भ च  की गलियां आ रही थी. आवाज इतनी तेज की उनके आवाज के आगे प्रार्थना स्वर दब जा रहा था.आज शनिवार हैं तो बच्चोँ की संख्या बहुत कम थी.
इस समय इस विद्यालय में 6 नवनियुक्त अध्यापक आये हैँ तो बता रहे लोग कि संख्या बढ़ी हुई है. क्लास 9th में 28 एडमिशन था.पहले चार पांच बच्चे आते थे अब तो 20 तक आ रहे हैँ.
हालांकि अभी तक  समय सारणी नहीं है.कोइ भी अध्यापक किसी भी कक्षा में आ  रहा जा रहा,हालांकि सबकी अपेक्षा एबी रह रही कि नाव नियुक्त ही पढ़ाएं. पढ़ा भी रहे, एक नयी लड़की दिख रही सामने छोटे छोटे बच्चों को पढ़ा रही. अनुमान लगा पर रहा कि कक्षा एक दो के बच्चे हैँ.बच्चे बोरा या पालीथीन का टुकड़ा ले कर आये हैँ. ठंडी ज्यादा हैं, उत्तर भारत में ठंडी तब चरम पर होती है जब पछआ हवा बहती हैघने कुहारे को kadake कि सर्दी नहीं माना जाता. औऱ आज बह रही हैं.बच्चे जमीन पर बोरा बिछा के बैठ गए हैँ. मैम कुर्सी पर बैठी हैँ उनका फेस छोड़ कर कोइ भी अंग बाहर नहीं दिख रहा, ग्लोव्स शॉक्स औऱ गले में हिजाब लगायी हुई हैँ. बच्चे आड़े तिरछी बोरा बिछा के बैठ गए हैँ, किताब उलटे सीधे रखे भी हैँ. बोरा छोटे पड़ जा रहे उतर के बैग सही करते हैँ फिर बैठते तो उनके लिए जगह काम पड़ जा रही, आगे पीछे होते ही मैं उनके  आ गया हूं. क्रोध मिश्रित   विनम्रता का भाव से पूछ रहा हूं  कि वे ट्रेनिंग में हैँ या पढ़ास्थपित हैँ. वे नजाकत से जवाब दे रही कि नई भी हैँ, ट्रेनिंग में भी हैँ औऱ पढ़ास्थापित भी हैँ. मैं समझ  गया हूं कि वे पिछले महीने ही नियुक्त हुई हैँ औऱ उच्च माध्यमिक में उनका  सिलेक्शन भी हो गया हैं तो ट्रेनिंग में भी हैँ.. जमीन पर आ जा रहा.मैंने उलाहना के स्वर में पूछ रहा हूं कि इनके बैठने के लिए कम से कम कोइ तिरपाल या बड़ा पालीथीन नहीं हैं क्या, वे कंधा उचका रहीं unka interest mere education औऱ सिलेक्शन के प्रक्रिया में है.
बच्चों के पाँव कि सर्दी अपने रीढ़ में महसूस कर रहा हूं. मैं वापस आ करलंच हो गया है.सभी बच्चे कमरे ऐ बाहर हैँ. MDM का भोजन बना हुआ हैं, कुछ ले कर खा rhe हैं कुछ घर जा रहे खाने के लिए,कुछ तो थाली भी नहीं लाये तो वे विद्यालय कि थाली में खा रहे,औऱ धो कर रख दे रहे.एक मास्टर साहेब लेकर  आये हैं भोजन,जो अगल बगल के गाँव के हैं वे जा कर काम कर के भी ा जा रहे. मैं रैनाथ कॉलेज के बारे में सोच रहा हूं, अब मुझे वहाँ का अनुशासन प्रिय लग रहा, यहां कोइ ना क्लार्क हैं ना ही कोइ चपरासी, प्यास लगी है, पीने के पानी का बोतल पर जमी धुल देख कर प्यास मर गयी है.नल भी नहीं है बच्चे बगल में किसी के दुआर पर के नल से पानी पीते हैं. यहां के अध्यापक कि प्यास शायद किसी फण्ड से बुझती हो. किसी भी अध्यापक से कोइ नियम पूछने पर पहले वो उससे बचने का उपाय बताता है फिर नियम.
किसी बच्चे ने थाली पटकी हैं, उसकी आवाज से मेरी तंन्द्र  भंग हुई है. बाहर के शोर कि आवाज बढ़ती जा रही, मैं ऑफिस में बैठ  कर ये लिख रहा हूं, ऐसे लग रहा कि तुम सामने हो औऱ सुन रहे मुझे.
एक अध्यापक जो पहले दिन से ही मेहनती औऱ ईमानदार  लग रहे वे ही खेला रहे कबड्डी.बच्चे खुश हैं आज शनिवार हैं आज लंच के बाद शाम तक पढ़ना नहीं हैं केवल खेलना है.मास्टर साहेब लोग भी बहुत खुश हैं. घेरो, पकड़ो, चढ़ाओ कि आवाज आ रही... उसमे फिर ताली औऱ ओ ओ ओ बढ़िया बहुत सही कि पूरक आवाज आरही. एक अध्यापक ने हँसते हुए बाहर आने का आग्रह किया है.
मैं बाहर  आ गया हूं, घूम वूम के. बच्चों कि ख़ुशी में मेरा विषाद घुल गया है.
घड़ी तीन से आगे कि ओर चल चुकी है.प्रधानाचार्य जी बीआर सी पर गए हैं.मुझे कम से कम चार बजे तक उनके आने का इंतज़ार करना है. मुझे जाना हैं कल आने के वास्ते...

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