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निज़ाम

निजाम ने कहा गर्व करो कि तुम्हारी जड़ें हज़ारों साल गहरी हैं हमारी छाती चौड़ी हो गयी जिसके तले दब गए कितने सिकुड़े पेट। पवित्र किताबों ने कहा कि  तुम्हारे किताबों में छिपा है सृष्टि का मूल मंत्र हम भर गए गर्व से और शुतुर्गमुर्ग की तरह गाड़ लिया सर रिक्तता दोष से भर गए हमारे हृदय। शिलालेखों से फूटे बोल  फख्र करो कि तुम्हरी नस्लों ने हज़ारों साल की है हुकूमत । तुम्हारे पुरखों ने शिलाओं पर उकेरें हैं इतिहास पत्थरों पर अंकित किये हैं भूगोल बदलने के साक्ष्य, हम कृत्रिम-अस्मिता-बोध से भर उठे। पर निज़ाम ने कभी नही बताया कि सिंहासन के पाये तुम्हारे रक्त में धंसे हैं, निज़ाम ने हमेशा भूखे पेट भर दिये  कृत्रिम अस्मिताबोध से।  -अतुल पाण्डेय